साधकों , पुजा -पाठ करने वालों के लिए महत्वपुर्ण जानकारी ------


साधना करते वक्त या पुजा - पाठ करते वक्त मृगचर्म , दर्भासन , व्याघ्रचर्म या फिर कम्बल के आसन का हि प्रयोग किया जाता है । ( Note --देश , काल तथा कानुन का ध्यान रखते हुए ही आसन का प्रयोग करें .)

काले मृगचर्म और दर्भासन पर बैठकर जप करने से ज्ञानसिद्धि होती है , व्याघ्रचर्म पर जप करने से मुक्ति प्राप्त होती है , परन्तु कम्बल के आसन पर सर्व सिद्धि प्राप्त होती है । भारत मे प्रचलित कानुन व्यवस्था के अनुसार कम्बल के आसन का ही प्रयोग करे ।

कपडे के आसन पर बैठकर जप करने से दारिद्र्य आता है , पत्थर के आसन पर रोग , भुमी पर बैठकर जाप करने से दुःख आता है और लकडी के आसन पर किए हुए जप निष्फल होते है।

अग्नि कोण की तरफ मुख करके जप - पाठ करने से आकर्षण , वायव्य कोन की तरफ शत्रुओं का नाश नैऋत्य कोण की तरफ दर्शन और ईशान कोन की तरफ मुख करके जप - पाठ करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है ।

उत्तर दिशा की ओर मुख करके पाठ करने से शांती , पुर्व दिशा 

की ओर वशीकरण , दक्षिण दिशा की ओर मारण सिद्ध होता है 

तथा पश्चिम दिशा की ओर मुख करके जप - पाठ करने से धन 

की प्राप्ति होती है ।

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