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Showing posts from April, 2017

अक्षय़ तृतीया के शुभ अवसर पर धन प्राप्ती का उपाय

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अक्षय तृतीया     अक्षय तृतीया    वैशाख   मास में   शुक्ल पक्ष   की   तृतीया   तिथि को कहते हैं।   पौराणिक   ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं , उनका अक्षय फल मिलता है।   इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है।   वैसे तो सभी बारह महीनों की   शुक्ल पक्षीय   तृतीया   शुभ होती है , किंतु   वैशाख   माह की तिथि   स्वयंसिद्ध मुहूर्तो   में मानी गई है। महत्व अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है। इस दिन बिना कोई   पंचांग   देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे   विवाह , गृह-प्रवेश , वस्त्र-आभूषणों की खरीददारी या घर , भूखंड , वाहन आदि की खरीददारी से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं। नवीन वस्त्र , आभूषण आदि धारण करने और नई संस्था , समाज आदि की स्थापना या उदघाटन का कार्य श्रेष्ठ माना जाता है।   इस दिन   पितरों   को किया गया तर्पण तथा पिन्डदान अथवा किसी और प्रकार का दान , अक्षय फल प्रदान करता है। इस दिन ...

आपकी समस्यायें और उनके समाधान

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    काल अनवरत गति से गतिशील है तथा नित्य परिवर्तनशील है , पर ईसका प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति पर अलग - अलग पडता है और ईस परिवर्तन के कारण ही मानव जीवन अस्त - व्यस्त हो जाता है । इसी परिवर्तन के कारण ही जीवन मे आए विचलन से मनुष्य परेशान , दुःखी तथा समस्याओं से घिरा हुवा रहता है , फिर वह उन समस्याओं , परेशानियों से निजात पाने के लिए इधर - उधर भागता है । कुछ विधियों द्वारा आपके समस्याओं का समाधान करने का प्रयास हमने ईस लेख मे किया है । 1.      क्या आप व्यापारी है और आपको हर क्षण राज्यभय सताता है ? आप व्यापारी है और निरन्तर आपको कोई व्यक्ति या सरकारी अधिकारी राज्यभय का डर दिखाता है जिसके कारण आप हर समय विचलित रहते है और आपके कारोबार पर ईसका गलत असर हो रहा है । राजभय को नष्ट करने के लिए निम्न प्रयोग सम्पन्न करे ।  पन्चनी को लाल रंग के वस्त्र पर निम्न मंत्र लिखकर स्थापित कर दे । पन्चनी का पुजन कुंकुम , पुष्प तथा अक्षत से करे तथा उसके समक्ष तिल के तेल का दिपक लगाए , निम्न मंत्र का 61 बार उच्चारण करें -- मंत्र       ...

कुण्डलिनी Blog 6 ----

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श्रीनगर से 97 मिल दुर अमरनाथ की महागुफा मे प्रकुर्ती का वह चमत्कार होता है , जिसे देखने देश - विदेश से लाखो श्रद्धालु , वैज्ञानीक प्रतिवर्ष ऊमड पडते है । ईस चमत्कार का कोई वैज्ञानीक विश्लेषण आज तक नहि किया जा सका ।        चन्द्रमा पृथ्वी की एक ऐसा दिशा मे अवस्थित है की वह पृथ्वी वासीयों को एक पक्ष मे क्रमशः बढता हुवा पुर्णमासी के दिन पुर्ण दर्शन देने की स्थिति मे आ जाता है , तो दुसरी बार क्रमशः घटता हुवा अमावश्या के दिन बिलकुल छुप जाता है । यहॉं विज्ञान का कार्य - कारण सिद्धांत समझ मे आता है । कोई क्रिया विशेष कारणों की उपस्थिति मे ही सम्भव है पर जब कोई कार्य कारण बिना सम्भव हो तब ? विज्ञान के पास उसका कोई जबाब नही । विज्ञान ऐसी क्रियाएं नही मानता पर सृष्टी मे वह भी होता है तब मानना पडता है की सृष्टि मे सब कुछ स्थुल पदार्थों का हि अस्तित्व नहीं बल्की चेतन का भी अस्तित्व है और स्थुल से कही अधिक सशक्त है ।       अमरनाथ ईस बात का प्रत्यक्ष ऊदाहरण है । अमावस्या के दिन उस बिन्दु पर कुछ भी नही होता लेकीन अमावश्या के दुसरे ही द...