आपकी समस्यायें और उनके समाधान
काल अनवरत गति से
गतिशील है तथा नित्य परिवर्तनशील है , पर ईसका प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति पर अलग -
अलग पडता है और ईस परिवर्तन के कारण ही मानव जीवन अस्त - व्यस्त हो जाता है । इसी
परिवर्तन के कारण ही जीवन मे आए विचलन से मनुष्य परेशान , दुःखी तथा समस्याओं से
घिरा हुवा रहता है , फिर वह उन समस्याओं , परेशानियों से निजात पाने के लिए इधर -
उधर भागता है । कुछ विधियों द्वारा आपके समस्याओं का समाधान करने का प्रयास हमने
ईस लेख मे किया है ।
1. क्या आप व्यापारी है और आपको हर क्षण राज्यभय
सताता है ?
आप व्यापारी है और निरन्तर आपको कोई व्यक्ति या
सरकारी अधिकारी राज्यभय का डर दिखाता है जिसके कारण आप हर समय विचलित रहते है और
आपके कारोबार पर ईसका गलत असर हो रहा है । राजभय को नष्ट करने के लिए निम्न प्रयोग
सम्पन्न करे ।
पन्चनी को लाल रंग के वस्त्र पर निम्न मंत्र लिखकर
स्थापित कर दे । पन्चनी का पुजन कुंकुम , पुष्प तथा अक्षत से करे तथा उसके समक्ष तिल
के तेल का दिपक लगाए , निम्न मंत्र का 61 बार उच्चारण करें --
मंत्र
।। ओम् ऋं ऋं लृं लृं ओम् ।।
मंत्र जाप समाप्त होने के बाद पन्चनी को कीसी
वृक्ष के जड मे दबा दे ।
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2 कही आप नित नई बाधाओं मे तो नही फंस
जाते है ?
सौष्ठा को सफेद रंग के
वस्त्र मे केसर से चतुर्दल कमल बनाकर मध्य मे स्थापीत कर दे । कुंकुम , अक्षत ,
पुष्प से सौष्ठा का पुजन करे । सौष्ठा के समक्ष नित्य 11 बार निम्न मंत्र का
उच्चारण करें --
मंत्र
।। ओम् ऐं ह्रीं
श्रीं क्रीं क्लीं हूं ओम् ।।
यह प्रयोग नित्य सात दिनों तक करे । प्रयोग
समाप्ती के बाद सौष्ठा को नदी मे प्रवाहित करे ।
3 हमजाद का प्रयोग
हमजाद अपने आप मे अद्वितिय है । शुक्रवार के दिन
किसी मजार पर जाकर उस पर लोबान जलाएं तथा मजार पर हमजाद चढाते हुए अपनी मनोकामना
बोले । यह कामनापुर्ती का तीव्रतम प्रयोग है । इसमे किसी मंत्र की आवश्यकता नहीं ।
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4 शत्रुता की समाप्ति हेतु यह प्रयोग
आप अपने आप को निर्बल महसुस कर रहे है और शत्रु
आप पर हावी होता जा रहा है तो यह प्रयोग सम्पन्न करें ।
इमृताफल को कीसी काले रंग के
वस्त्र मे बांध दे , उस पर व्यक्ति का नाम लिखे
, जिसके कारण आप परेशान है । उसके
समक्ष निम्न मंत्र का 101 बार जाप करे ।
मंत्र
।। ओम् ह्लीं ह्सौः
ह्लीं ओम् ।।
जाप के तुरंत बाद इमृताफल को वस्त्रसमेत नदी मे
फेंक दे । शत्रु स्वतः ही आपके मार्ग से हट जाएगा ।
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5 क्या आपमे आत्मविश्वास नही है ?
जिन व्यक्तियों मे आत्मविश्वास की कमी रहती है ,
वह दृढसंकल्पीत नही रहते और ऐसे व्यक्ती निर्बल , दिन और लचर जिवन जीने के लिए
मजबुर रहते है । चाहकर भी वह कुछ कर नही पाते , किसी कार्य को हाथ मे लेने पर उसे
पुर्णता प्रदान नही कर पाते और आधा - अधुरा ही छोडकर असफलता का सामना करते है । यह सब नीर्बल मानसिकता के
कारण होता है ।
पारद मुद्रिका को सोमवार के दिन , उचित समय (मुहुर्त) देखकर , पुजन करके धारण करे । 40 दिन तक धारण करे । ईन चालीस दिनों मे नीयमीत
प्रातःकाल ऊठकर , स्नानादी आवश्यक कर्म करते हुए , अपने पुजा स्थान मे भगवान शीव
की प्रतीमा का पुजन करे और नीम्न पंचाक्षर स्तोत्र का 1 बार पठन रोज करे ।
पंचाक्षर स्तोत्र --
नागेंद्रहाराय
त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय
शुद्धाय दिगंबराय तस्मे "न" काराय नमः शिवायः॥
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मंदारपुष्प
बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे "म" काराय नमः शिवायः॥
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्री
नीलकंठाय वृषभध्वजाय तस्मै "शि" काराय नमः शिवायः॥
वशिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य मुनींद्र देवार्चित शेखराय।
चंद्रार्क
वैश्वानर लोचनाय तस्मै "व" काराय नमः शिवायः॥
यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय
देवाय दिगंबराय तस्मै "य" काराय नमः शिवायः॥
पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेत् शिव सन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति
शिवेन सह मोदते॥
॥ इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितं श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
चालिस
दिन बाद पारद मुद्रिका को नदी मे प्रवाहीत कर दे । तत्पश्चात सीधा घर पर आवे । घर
मे प्रवेश करने के पुर्व घर के बाहर ही अपने पावों को पानी से धो ले और कुल्हा करे
। पुजा स्थान मे भगवान के समक्ष बैठकर एक बार कपुर जलाएं और पुजा मे कीसी न्युनता
के लिए भगवान से माफी मांगे , अपनी मनोकामना बोले और दैनंदीन पुजा कर्म से (जो
चालीस दिनों तक किया था ) मुक्तता प्रदान करने की विनंती करे । घर के सभी सदस्यों
को मीठा खिलावे और अपने कार्य पर लगे ।
कीसी अधिक जानकारी के लिए email
करें -- gunwantrao45@gmail.com
(लेख माला 1)
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