ऐश्वर्य प्राप्ती के लिए .. भुवनेश्वरी साधना

भुवनेश्वरी साधना जो तीनो लोकों की सम्पदा साधक पर लुटाने को तत्पर रहती है । समस्त ब्रम्हाण्ड के तेज का निचोड दस महाविद्याओं के रुप मे परिगणित होता है । कोई भी व्यक्ति तब तक तंत्र के क्षेत्र मे सफल नही समझा जाता , जब तक वह कोई महाविद्या सिद्ध न कर ले । सभी दस की दस महाविद्याएं अपने आप मे बेजोड है , उच्च स्तरीय है । उनमे से एक महाविद्या है.. भुवनेश्वरी भुवनेशिवरी शब्द भुवन से बना है , जिसका अर्थ है भुवनत्रय अर्थात तिनो लोक , अतः भुवनेश्वरी तिनो लोकों मे सबके द्वारा पुजनीय है । यदि व्यक्ति एक हि साथ उच्च स्तरीय आध्यात्मिक उत्थान एवं पुर्ण भौतिक सफलता का आकाक्षी है, तो ऊसे भुवनेश्वरी साधना सम्पन्न करनी चाहिए । कृष्ण जब मथुरा से प्रस्थान कर द्वारीका की ओर चले थे , तो नगर बसाने से पुर्व उन्होने भुवनेश्वरी का आशीर्वाद प्राप्त किया था । फलस्वरुप भगवान कृष्ण इस तरह की अनुपम नगरी का निर्माण सके । जो की अपने आप मे ही श्रेष्ठतम रही , अद्वितिय रही , पूर्ण सम्पन्नता युक्त रही । ...