मनोकामना पुर्ती के लिए सुवर्ण संधी । नवरात्री साधना।

----- नवरात्रि की
नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि वर्ष
में चार बार आता है। पौष, चैत्र, आषाढ, अश्विन प्रतिपदा
से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों - महालक्ष्मी, महासरस्वती और
महादुर्गा के
नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते
हैं। दुर्गा का
मतलब जीवन के दुख कॊ हटानेवाली होता है।
नौ देवियाँ है :-
शैलपुत्री - पहाड़ों की पुत्री है।
ब्रह्मचारिणी - ब्रह्मचारीणी।
चंद्रघंटा - चाँद की तरह चमकने वाली ।
कूष्माण्डा - पूरा जगत उनके पैर में है ।
स्कंदमाता - कार्तिक स्वामी की माता ।
कात्यायनी - कात्यायन आश्रम में जन्मि ।
कालरात्रि - काल का नाश करने वाली ।
महागौरी - सफेद रंग वाली मां ।
सिद्धिदात्री -सर्व
सिद्धि देने वाली ।
शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्र निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। सर्वप्रथम श्रीरामचंद्रजी ने नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा की जाती है। माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है।
नवदुर्गा और दस महाविद्याओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दशमहाविद्या अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है ।
सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा-प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं।
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